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प्र सोमा॑य व्यश्व॒वत्पव॑मानाय गायत । म॒हे स॒हस्र॑चक्षसे ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

pra somāya vyaśvavat pavamānāya gāyata | mahe sahasracakṣase ||

पद पाठ

प्र । सोमा॑य । व्य॒श्व॒ऽवत् । पव॑मानाय । गा॒य॒त॒ । म॒हे । स॒हस्र॑ऽचक्षसे ॥ ९.६५.७

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:65» मन्त्र:7 | अष्टक:7» अध्याय:2» वर्ग:2» मन्त्र:2 | मण्डल:9» अनुवाक:3» मन्त्र:7


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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (व्यश्ववत्) कर्मयोगी के समान (सहस्रचक्षसे) अनन्तशक्तिसम्पन्न (सोमाय) परमात्मा को (प्र गायत) आप लोग गान करें, जो परमात्मा (महे) सर्वपूज्य और (पवमानाय) सबको पवित्र करनेवाला है ॥७॥
भावार्थभाषाः - परमात्मा उपदेश करता है कि हे मनुष्यों ! तुम उस पूर्ण पुरुष की उपासना करो, जो सर्वशक्तिसम्पन्न और सब संसार का हर्त्ता ,धर्त्ता तथा कर्त्ता है। इसी अभिप्राय से वेद में अन्यत्र भी कहा है कि सूर्य चन्द्रमा आदि सब पदार्थों का कर्त्ता एकमात्र परमात्मा है ॥७॥
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (व्यश्ववत्) कर्मयोगीव (सहस्रचक्षसे) अनन्तशक्तिसम्पन्नं (सोमाय) परमात्मानं (प्र गायत) यूयमुपगायध्वम्। यः परमेश्वरः (महे) सर्वपूज्योऽस्ति। तथा (पवमानाय) सर्वपवित्रकर्तास्ति ॥७॥